November 10, 2024
Delhi

तात्या टोपे के वशंज चला रहे दुकान तो उधम सिंह के वशंज करते हैं दिहाड़ी मजदूरी

तात्या टोपे के वशंज चला रहे दुकान तो उधम सिंह के वशंज करते हैं दिहाड़ी मजदूरी

दिल्ली उत्सव, डैस्क

देश में एक ओर जहां 74वें स्वतंत्रता दिवस (74th Independence Day) का जश्न मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरह आजादी की लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) के वशंज (Descendants) दो वक्त की रोटी के लिए हर दिन जद्दोजहद कर रहे हैं. इसे सरकार की अनदेखी का ही नतीजा कहेंगे कि देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले शहीद के कुछ वशंज जहां दैनिक मजदूरी कर अपना पेट भर रहे हैं तो कुछ सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हैं.

जलियांवाला बाग नरसंहर का बदला लेने के लिए उधम सिंह 1940 में लंदन गए और पंजाब के तत्कालीन उपराज्यपाल माइकल ओडायर की हत्या कर दी. इस घटना ने अंग्रेजों की नींव हिलाकर रख दी. लेकिन आज उधम सिंह के भांजे के बेटे जीत सिंह पंजाब के संगरूस जिले में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं.

इसी तरह 1857 के विद्रोह के नायकों में से एक तात्या टोपे के वंशज हर दिन दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने को मजबूर हैं. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के 73 से अधिक नायकों के वंशजों पर कई किताब लिख चुके पूर्व पत्रकार शिवनाथ झा का कहना है कि मैंने मैंने तात्या के पड़पोते विनायक राव टोपे को बिठूर में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते हुए देखा है.

इसी तरह स्वतंत्रता की लड़ाई में फांसी के फंदे को प्यास से गले लगा लेने वाले शहीद सत्येंद्र नाथ के पड़पोते की पत्नी अनिता बोस की हालत भी बेहद खराब है. मिदनापुर में रहने वाली अनिता दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं. बता दें कि सत्येंद्र नाथ और खुदीराम बोस अलीपुर बम कांड में शामिल थे. दोनों को 1908 में फांसी दे दी गई थी. जिस समय अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दी उस वक्त सत्येंद्र नाथ केवल 26 वर्ष के थे और खुदीराम महज 18 साल के थे.

source- https://m.dailyhunt.in/

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