चीन का अड़ंगा: दलाई लामा के उत्तराधिकारी को सरकारी मान्यता जरूरी
हरियाणा उत्सव, बीएस वाल्मीकन
तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चीन ने अड़ंगा डाल दिया है। शुक्रवार को चीन सरकार ने कहा कि उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी के बाद ही इसे वैध माना जाएगा।
चीन ने शुक्रवार को कहा कि उसकी मंजूरी के बाद ही मौजूदा दलाई लामा के किसी उत्तराधिकारी को मान्यता दी जाएगी। इसके साथ ही चीन ने दलाई लामा या उनके अनुयायियों द्वारा नामित किसी व्यक्ति को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।
चीनी सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में दावा किया गया कि किंग राजवंश (1677-1911) के बाद से केंद्र सरकार द्वारा दलाई लामा और अन्य आध्यात्मिक बौद्ध नेताओं को मान्यता दी जाती है।
प्राचीन समय से तिब्बत अविभाज्य हिस्सा
दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि प्राचीन समय से ही तिब्बत चीन का अविभाज्य हिस्सा है। इसमें कहा गया है, ‘1793 में गोरखा आक्रमणकारियों के जाने के बाद से किंग सरकार ने तिब्बत में व्यवस्था बहाल की और तिब्बत में बेहतर शासन के लिए अध्यादेश को मंजूर किया।’ दस्तावेज के मुताबिक अध्यादेश में कहा गया कि दलाई लामा और अन्य बौद्ध धर्मगुरु के अवतार के संबंध में प्रक्रिया का पालन करना होता है और चुनिंदा उम्मीदवारों को मान्यता चीन की केंद्रीय सरकार के अधीन है।
1959 में भारत आ गए थे 14 वें दलाई लामा
तिब्बत में स्थानीय आबादी के आंदोलन पर चीन की कार्रवाई के बाद 14 वें दलाई लामा 1959 में भारत आ गए थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी और निर्वासित तिब्बती सरकार तब से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है। दलाई लामा अब 85 साल के हो चुके हैं और उनकी बढ़ती उम्र के कारण पिछले कुछ वर्षों में उनके उत्तराधिकारी का मुद्दा उठने लगा है।
अमेरिका दलाई लामा व तिब्बत के लोगों के साथ
यह मुद्दा पिछले कुछ वर्षों में तब और सुर्खियों में आया जब अमेरिका ने अभियान चलाया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में फैसला करने का अधिकार दलाई लामा और तिब्बत के लोगों के पास होना चाहिए।