जातिगत जनगणना से किसको फायदा और किसको नुकसान
हरियाणा उत्सव, गोहाना डेस्क/ BS Bohat
भारत में कितनी आबादी है इसकी गणना के लिए दस वर्ष में एक बार जनगणना की जाती है। भाजपा सरकार के नेतृत्व में देश की जनगणना की जाएगी। इससे पहले कांगे्रस के नेतृत्व में 2010 में हुई थी। 2010 जनगणना के अनुसार देश में करीब सवा सौ करोड़ आबादी थी। कुछ राजनीतिक दलों की मांग है कि जनगणना जाति के आधार पर होनी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना से किनारा कर रही है।
1- क्या फायदा होगा जाति आधारित जनगणना से
2- क्या आप जानना नहीं चाहते भारत में आपकी जाति की संख्या क्या है
3-जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए या नहीं
4 -क्या राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं
5-जातिगत जनगणना भाजपा सरकार क्यों नहीं चहती।
6 -क्या आपके देश में आपको जो अधिकार मिलने चाहिए वह मिल रहे हैं।
ऐसे बहुत सवाल हैं। जिनके बारे में आपको जनाना चाहिए।
1- क्या फायदा होगा जाति आधारित जनगणना से
– जातिगत जनगनणा से देश को फायदा होगा। देश की प्रत्येक जाति के लोगों को पता चलेगा कि उनकी जाति की जनसंख्या कितनी है और राजनीति व प्रसाशनिक क्षेत्र में उनकी कितनी हिस्सेदारी है। लेकिन जो लोग मलाईदार पदों पर विराजमान हैं उनको लगता है कि जातिगत जनगणना से उनकी आने वाली पीढ़ी को नुकसान होगा।
2-क्या आप जानना नहीं चाहते भारत में आपकी जाति की संख्या क्या है
देश में आपकी जाति के लोगों की जनसंख्या कितनी है। यह जानकर आप में एक जोश भर जाता है। राजनीतिक दल उसी हिसाब से समीकरण बैठाने शुरू कर देते हैं। आपकी जनसंख्या का पता लगने के बाद आप के साधारण परिवार के लोगों को राजनीति मेंआने की प्रेरणा मिलेगी।
-3-जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए या नहीं
लोसुपा पार्टी को मुख्य ऐजेंडा है कि जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी। जातिगत जनगणना से ज्यादा जनसंख्या वाली जाति को फायदा होगा। आपके सामने जातिगत आकडें होंगे तो आप अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे। आपके हिस्से की मलाइदार पदों पर बैठे लोगों को मिर्ची लगनी शुरू हो जाती है। वही लोग सबसे ज्यादा जातिगत जनगणना का विरोध कर रहे हैं। जनसंख्या के आधार पर हिस्सेदारी होनी चाहिए या नहीं। आप खुद ही फैसला ले सकते हैं।
4 -क्या राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं
अलग-अलग राज्यों के क्षेत्रीय पार्टी भी जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं। सभी पार्टियां अपने हिसाब से जातियों का गणित तैयार करेंगी। लेकिन मौजूदा सरकार को लगता है कि जातिगत जनगणना से राजनीतिक नुकसान हो सकता है। राजनीतिक पार्टियां वही पोल्सी अपलाई करती हैं जिससे पार्टी को फायदा हो।
5-जातिगत जनगणना भाजपा सरकार क्यों नहीं चहती।
राज्यों की स्थानीय राजनीतिक पार्टी जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं। लेकिन भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। शुरूआत में भाजपा के शिर्ष नेता ने भी जातिगत जनगणना होने के संकेत दिए थे। लेकिन दोबारा से कोई भी पोजिटिव रिसपोंस नहीं मिला है। भाजपा को लगता है कि जातिगत जनगणना से ओबीसी का वोट बैंक जनसंख्या के आधार में हिस्सेदारी की मांग करने लगेगा।
6 -क्या आपके देश में आपको जो अधिकार मिलने चाहिए वह मिल रहे हैं।
हर बार जातिगत जनगणना के बाद एससी और एससीएसटी के जतिगत आकडों को सार्वजनिक किया गाय है। उसके बाद भी एससी/ एससीएसटी वर्ग के लोग अपने अधिकारों से वंचित हैं। उनके बैकलाक को भरने के लिए कोई भी राजनैता या रानीतिक पार्टी बैकलोक भरने की पैरवी नहीं करते हैं।
जातिगत आकडे सार्वजनिक करने से ओबीसी की जनसंख्या का पता चलेगा। उसके बाद जनसंख्या के आधार पर हिस्सेदारी की मांग जोर पकडेगी। इसी बात से केंद्र सरकार जातिगत जनगणना से पिछे हट रही है।