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पीएम मोदी की जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग अहम बैठक, तमाम नेता पहुंचे दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में हाई एलर्ट

पीएम मोदी की जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग अहम बैठक, मीटिंग का क्या होगा एजेंडा

हरियाणा उत्सव, बीएस बोहत
नई दिल्ली:  
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर के मसले पर वहां के तमाम क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। प्रधानमंत्री की बैठक में फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, मोहम्मद तारिगामी सहित गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे। बता दें कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद पहली बार केंद्र सरकार वहां के राजनीतिक नेताओं से बात कर रही है। वहीं, बैठक के दौरान आतंकी गतिविधियों की आशंका को देखते हुए सुरक्षा बलों के लिए जम्मू कश्मीर में 48 घंटे का हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। 24 को इंटरनेट सेवा को सस्पेंड किया जा सकता है।

माना जा रहा है कि यह बैठक जम्मू-कश्मीर का भविष्य तय करने के लिए आयोजित की गयी है। बैठक में शामिल होने के लिए गुपकार संगठन के तमाम सदस्य दिल्ली पहुंच गये हैं। पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष प्रो. भीम सिंह, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और मुजफ्फर हुसैन बेग पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं। पहले पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने यह कहा था कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल नहीं होंगी लेकिन बाद में गुपकार की बैठक के बाद उन्होंने नरमी दिखाई।

मीटिंग का क्या होगा एजेंडा?

मीटिंग के एजेंडे के बारे में कोई जानकारी तो नहीं मिली है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिये जाने को लेकर चर्चा होगी। साथ ही प्रदेश में राजनीतिक स्थिति को मजबूती दिये जाने पर भी बातचीत होगी। इस समय जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया चल रही है। इसे पूरा करने में सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी की कोशिश होगी। क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग के बिना इसमें दिक्कत आ रही है, इसलिए प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई है। वैसे, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी समेत अधिकांश दलों ने साफ कर दिया है कि वह जम्मू-कश्मीर से जुड़े अपने पुराने एजेंडे पर ही बात करेंगे।

इस बीच दिल्ली पहुंचे अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने कहा कि पीएम मोदी को सर्वदलीय बैठक में आर्टिकल 370 को रद्द किये जाने को लेकर कश्मीरियों में जो दर्द है उसे कम करने के बारे में सोचना चाहिए। साथ ही कश्मीरियों की शिक्षा और उनके विकास पर ध्यान देना चाहिए।

Source- https://www.naidunia.com

 

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