अमेरिका के पूर्व विदेशमंत्री का दावा, चीनी आर्मी के लिए काम कर रही थी वुहान लैब
हरियाणा उत्सव, बीएस वाल्मीकन
नई दिल्ली:
पूरी दुनिया इस बात का पता लगाने में जुटी हुई है कि क्या कोरोना चीन के वुहान लैब से निकला हुआ एक वायरस है. कोरोना को लेकर चल रहे इस मंथन के बीच अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने शनिवार को यह कहकर सबको चौंका दिया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी अपनी सिविलियन रिसर्च के साथ-साथ सैन्य गतिविधियों में भी शामिल रहा था. पोम्पिओ का ये बयान इस लिए भी ज्यादा अहमियत रखता है क्योंकि कोरोनावायरस (Coronavirus) की उत्पत्ति के दावे की नए सिरे से जांच शुरू कर दी गई है.
पोम्पिओ के हवाले से फॉक्स न्यूज ने कहा, चीन की वुहान लैब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ मिलकर काम कर रही है. उन्होंने दावा किया कि लैब में नागरिक शोध के नाम पर सैन्य गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था. उन्होंने कहा कि उस वक्त चीन से इस संबंध में जानकारी भी मांगी गई थी लेकिन उसने इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था. जब विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने वहां जाने की कोशिश की तो चीन ने इसकी भी अनुमति देने से इनकार कर दिया.
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक टीम कोरोना वायरस से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए वुहान गई थी. इस दौरान टीम ने वुहान लैब का भी दौरा किया था. इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं हैं कि कोरोना वायरस, वुहान की लैब से दुनियाभर में फैला.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 8 दिसंबर 2019 में बताया कि कोविड जैसे लक्षणों वाला पहला मरीज वुहान में सामने आया है. ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने ही चीनी रिसर्चर्स के अस्पताल में भर्ती होने वाली पहली रिपोर्ट्स प्रकाशित की थीं.
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता ने ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की. हालांकि, उन्होंने कहा कि जो बाइडन प्रशासन के पास चीन में कोरोना का पहला मरीज मिलने और इस महामारी के शुरुआती दिनों को लेकर कई गंभीर सवाल हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार डब्ल्यूएचओ और अन्य सदस्य देशों के साथ कोरोना महामारी की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने का काम कर रही है, जो राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त है.