गर्मी आते ही बढ़ा मिट्टी के मटकों का क्रेज
– लोग कैंपर के पानी से करने लगे हैं परहेज
हरियाणा उत्सव, बीएस बोहत
गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। गर्मी में मिट्टी के मटकों का क्रेज बढ़ा है। गर्मी में लोग प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी को ज्यादा पसंद करते हैं। कैंपर के पानी की बजाए मटके का पानी ज्यादा अच्छा होता है। कैंपर के पानी की बजाए मटके का पानी हमारे शरीर को फायदा करता है। कैंपर के पानी से प्यास नही बुझती। इसलिए लोगों में मिट्टी के मटके का के्रज बढ़ गया है।
आज के आधुनिक युग में भी लोगों में मटकों का चलन दिख रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते लोग ठंडे पानी पीने से परहेज कर रहे हैं। मिट्टी से बने बर्तनों के धंधा प्राय अपना स्वरूप खो गया था। लेकिन घरों व दुकानों में फिर से मटके रखे दिखाई दे रहे हैं। जिससे मटकों की मांग बढऩे लगी हैं। एसे में मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के चहरों पर खुशी नजर आ रही है। शुभमुर्हत और पूजा पाठ में भी मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होता है।
दुकानदार संजय व सुमन ने कहा कि लोग मिट्टी के मटके या नोरमल पानी पीना पसंद करते हैं। जैसे ही गर्मी बढ़ी है लोग मटके खरीदने पहुंच रहे हैं। मटके में रखा पानी ठंडा रहता है। कैंपर की बजाए मटके का पानी असली प्यास बुझता है। मार्केट में 80 रुपये से 180 रुपये तक की कीमत के मटके बेचे जा रहे हैं। मार्केट में सुराही और टोंटी वाले मटके भी उपलब्ध हैं।
मटका खरीदने आई कमलेश गोयल का कहना कि वह पिछले कई साल से मटके का पानी पीती हैं। कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। एसे में कैंपर या फ्री के पानी से परहेज रखती हंै। ठंडा पानी पीने से गला खराब हो जाता है। शाम को मटके में पानी भर कर रख दो अगली सुबह पूरा दिन पानी ठंडा रहता है। यह पानी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहता है।
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आरओ के पानी से बेहतर है मटके पानी
लोग स्वाद के लिए आरओ के पानी में खनीज लवणों की कमी वाला पानी पीते हैं। जिससे हमारे शरीर में खनीज लवणों की कमी हो जाती है। आरओ के पानी से तो मटके का पानी कई गुणा बेहतर है।
-डा. सीडी शर्मा, चिकित्सक, गोहाना