Gohana

धूमधाम से मनाया दशहरे का पर्व, धू-धू कर जले रावण के पुतले

धूमधाम से मनाया दशहरे का पर्व, धू-धू कर जले रावण के पुतले

हरियाणा उत्सव/ गोहाना

शुक्रवार की शाम को रावण के पुतलों का दो स्थानों पर दहन हुआ। ये दोनों पुतले पुरानी सब्जी मंडी क्षेत्र में जलाए गए। सनातन धर्म मंदिर शिवाला मस्तनाथ में जैसे ही मुख्यातिथि ने मंच से बटन दबाया, उसी समय रावण का 40 फुट ऊंचा पुतला धू-धू कर जलने लगा।उधर, पंजाबी रामलीला मैदान में झांकी में राम बने कलाकार ने तीर का संधान कर 25 फुट ऊंचे पुतले का दहन किया। दोनों स्थानों पर भारी भीड़ जुटी तथा पुलिस द्वारा उसे नियंत्रित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। जैसे ही पुतलों ने आग पकड़ी, तब भीड़ में उन में से लकडिय़ां खींचने की होड़ से अफरातफरी मच गई।

सनातन धर्म मंदिर शिवाला मस्तनाथ में दशानन के पुतले के दहन से पहले श्रीराम कथा का समापन हुआ। यह राम कथा अयोध्या के भरत महल से पधारे श्री श्री 108 स्वामी धर्मदास उर्फ फलाहारी बाबा ने प्रस्तुत की। दशहरा समारोह की अध्यक्षता मंदिर के अध्यक्ष प्रवीण गोयल ने की। मुख्यातिथि जननायक जनता पार्टी के गोहाना हलके के अध्यक्ष नरेन्द्र गहलावत रहे। उनके साथ उनकी पत्नी उर्मिला गहलावत भी पहुंचीं। गहलावत दम्पति ने ही मंच से बटन दबा कर पुतले का दहन किया। विशिष्टातिथि गोहाना की दोनों गौशालाओं के पूर्व अध्यक्ष जय नारायण गुप्ता रहे। उनके साथ उनके पोते बजरंग गुप्ता और उसकी पत्नी सुनिधि गुप्ता, छोटे पोते अंकुश गुप्ता और उसकी पत्नी इशा गुप्ता भी पहुंचे। प्रमुख नागरिकों में सोनीपत भाजपा के जिलाध्यक्ष तीर्थ सिंह राणा, गोहाना नगरपरिषद के पूर्व चेयरमैन सुनील मेहता, सी.एल.जी. कमेटी के अध्यक्ष विकास जैन, एस.एस.एस. जैन सभा के पूर्व अध्यक्ष वेद प्रकाश जैन भी पहुंचे। समारोह में गोहाना सिटी थाने के एस.एच.ओ. सत्यवान, महिला थाने की एस.एच.ओ. सुदेश और समता चौकी के प्रभारी बलवंत सिंह को भी सम्मानित किया गया।

पंजाबी रामलीला मैदान के दशहरा समारोह के मुख्यातिथि सोनीपत भाजपा के जिलाध्यक्ष तीर्थ सिंह राणा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामलीला के अध्यक्ष कृष्ण लाल चुघ ने की। संरक्षक तिलक राज मिगलानी के साथ खुशी राम नरुला, हर गोविन्द चोपड़ा, सोमनाथ चावला, महेश सेठी, जगदीश वधवा आदि का रहा। इस आयोजन का विशेष आकर्षण स्पेशल झांकी रही। इस झांकी में राम जतिन शर्मा, लक्ष्मण साहिल शर्मा और हनुमान प्रिंस उर्फ कवीश मल्होत्रा बने। यह झांकी मेन बाजार के बाबा नागा शिव मंदिर से प्रारम्भ हो कर रामलीला मैदान में पहुंची। रावण दहन को देखने के लिए मैदान में भारी भीड़ के साथ आस-पास के घरों की छतों पर भी बड़ी संख्या में लोग चढ़े हुए थे।

व्यवस्था बनाए रखने के लिए दोनों स्थलों पर पुलिस का व्यापक बंदोबस्त था। पुलिस ने एडवांस में यातायात को डायवर्ट कर दिया था। लेकिन रामलीला समारोहों में एक मान्यता के चलते अंत में अफरातफरी जरूर हो गई। जलते रावण की लकड़ी घर में रखना शुभ माना जाता है। इसी के चलते जैसे ही पुतलों ने आग पकड़ी, वैसे ही लोगों में धधक रहे पुतलों में से लकडिय़ां बाहर खींचने की होड़ लग गई। मंच से बार-बार चेताने के बावजूद लोग माने नहीं।

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