बीपीएस महिला विवि की वीसी का जीवन परिचय, साथ में साक्षात्कार
प्रो. सुषमा यादव का व्यक्तिगत परिचय
प्रो. सुषमा यादव का जन्म समयपुर बादली, दिल्ली में 9 अगस्त, 1958 को हुआ। पिता स्व. निहाल सिंह शिक्षा विभाग से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे। निहाल सिंह अपने समय में अच्छे वैद्य थे। माता शिवरानी पढ़ी-लिखी गृहिणी थीं। सुषमा यादव ने स्कूली शिक्षा समयपुर बादली स्थित मॉडल टाउन स्कूल से ग्रहण की। उसके बाद दौलतराम कॉलेज से बीए, एमए, एमफिल की। 1993 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।
उपलब्धियां
प्रो. सुषमा यादव की पहली नियुक्ति 1980 में दौलतराम कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान की शिक्षिका के पद पर हुई। उसके बाद दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स में करीब 25 वर्ष तक सेवाएं दी। आइआइपीए में अंबेडकर चेयर की चेयरपर्सन, इग्नू में प्रो वाइस चांसलर के पद पर कार्य कर चुकी हैं। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सदस्य भी हैं। इस समय बीपीएस महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां मे कुलपति हैं।
एसडीएम आशीष वशिष्ठ के बारे में जाने
गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस महिला विश्वविद्यालय (विवि) अगस्त, 2006 में अस्तित्व में आया था। इससे पहले यहां महासभा द्वारा कन्या गुरुकुल संचालित किया जा रहा था। बीपीएस महिला विवि हरियाणा का एकमात्र ऐसा विवि है जहां केवल छात्राएं पढ़ती हैं। यह विवि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित है। विवि अस्तित्व में आने के बाद यहां कई नए कोर्स शुरू किए गए लेकिन अब भी कई विषयों में स्नातकोत्तर व पीएचडी के पाठ्यक्रम शुरू नहीं हो पाए हैं। विवि की अब तक नैक से ग्रेडिंग भी नहीं हुई है। विश्वविद्यालय गोहाना-गन्नौर मार्ग पर स्थित है जो मुख्य रूटों में नहीं है। इस रूट पर यातायात की उपयुक्त सुविधाएं नहीं होने से छात्राओं को आने-जाने में परेशानी होती है। ऐसे में क्षेत्र की छात्राओं को मजदूरी में दूसरे विश्वविद्यालयों की तरफ रुख करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे इस विवि को बेहतर ढंग से संचालित करने, नए कोर्स शुरू करने, छात्राओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने, यातायात की बेहतर सुविधा देने आदि मुद्दों पर कुलपति प्रो. सुषमा यादव से मुख्य संपादक बीएस बोहत ने उनसे बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश : –
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छात्राओं को जल्द समर्पित किए जाएंगे केंद्रीय पुस्तकालय व गतिविधि केंद्र
गुणवत्तायुक्त शिक्षण और छात्राओं के लिए पुस्तकें बढ़ाना रहेगी प्राथमिकता : प्रो. सुषमा
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प्रदेश का एकमात्र महिला विवि दूसरे विश्वविद्यालयों से बेहतर बने, इसके लिए आपकी क्या योजना है?
महिला विश्वविद्यालय की प्रदेश में अलग पहचान बने, इसके लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षण पर ध्यान देना मेरी पहली प्राथमिकता है। समय-समय पर प्राध्यापकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें भविष्य में और अधिक बढ़ाया जाएगा। मेरा मानना है कि जिस संस्थान के अधिकारी, शिक्षक व कर्मचारी अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से बखूबी निभाते हुए विद्यार्थियों का भविष्य संवारे वही अच्छा विश्वविद्यालय होता है। विवि के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
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विवि शुरू हुए 14 साल हो चुके है लेकिन अब तक यहां कई कोर्स शुरू नही हो पाए हैं। क्या कहेंगी?
14 साल के अर्से में विवि में कई नए कोर्स शुरू किए गए है। विवि में आज विभिन्न कोर्सों में करीब आठ हजार छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। अगले शैक्षणिक सत्र से विवि में हिंदी, संस्कृत, मनोविज्ञान विषयों में पीजी कोर्स और कुछ विषयों में पीएचडी के कोर्स शुरू करने का पूरा प्रयास रहेगा। गत जुलाई माह में शुरू हुए सत्र में भी कुछ नए पीजी कोर्स शुरू किए गए थे। उनकी कोशिश रहेगी यहां अधिक से अधिक विषयों के पीजी कोर्स संचालित हों, जिससे जिले की छात्राओं को उच्चतर शिक्षा के लिए नजदीक में ही सुविधा मिले।
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महिला विवि में छात्राओं से प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों से अधिक फीस ली जाती है, क्या कहेंगी?
दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में हमारे विश्वविद्यालय में कई कोर्सों की फीस अधिक है। फीस को कम कराने के लिए सरकार से आग्रह किया जा चुका है। छात्राओं के हित में हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। फीस कम होने पर छात्राओं को फायदा होगा और छात्राओं की संख्या में बढ़ जाएगी। उनकी पूरी कोशिश है कि अगले शैक्षणिक सत्र में छात्राओं को फीस में कुछ राहत जरूर मिले।
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विवि प्रशासन अपने स्तर पर छात्राओं को यातायात की सुविधा मुहैया कराने के लिए क्या कदम उठाएगा?
महिला विवि में विभिन्न गांवों की छात्राएं पढऩे के लिए आती हैं। सरकार ने पिछले दिनों दो बसें खरीदने की मंजूूूूरी दी थी। जो बजट आया उससे केवल एक ही बस खरीदी जा चुकी। दूसरी बस के बजट के लिए डिमांड भेजी जाएगी। विवि के पास फिलहाल जितनी बसें हैं उनको छात्राओं की सुविधा के लिए विभिन्न रूटों पर लगाया गया है। रोडवेज विभाग के अधिकारियों को भी इस रूट पर अधिक से अधिक बसें चलाने का आग्रह किया गया है।
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केंद्रीय पुस्तकालय के भवन का निर्माणकार्य कई माह से अधर में लटका है, इसके पीछे क्या कारण है?
लोक निर्माण विभाग द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में केंद्रीय पुस्तकालय का भवन बनाया जा रहा है। इसके लिए बजट विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया था। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा रहा है, जल्द काम शुरू करवाया जाएगा। विश्वविद्यालय में खेल परिसर और छात्रा गतिविधि केंद्र बन कर तैयार हैं। जल्द छात्रा गतिविधि केंद्र का नामकरण करके इसके छात्राओं को समर्पित कर दिया जाएगा।