किसानों का धान खुली बोली पर बिकवाने की प्राथमिकता : जगजीत
मार्केट कमेटी सचिव जगजीत सिंह कादियान का इंटरव्यू
मंडी में जाम न लगे इसीलिए धान के उठान पर दिया जा रहा है जोर
हरियाणा उत्सव, गोहाना
धान का सीजन पीक पर है और जींद रोड स्थित नई अनाज मंडी में इन दिनों रोजाना करीब 55 हजार क्विंटल धान की आवक हो रही है। धान की आवक अधिक होने के चलते मंडी के अंदर और बाहर जाम की समस्या बन जाती है। जाम के चलते किसानों और शहर के लोगों को परेशानी हो रही है। कुछ किसानों की शिकायत रहती है कि उनकी फसल अच्छे भाव पर नहीं बिक रही है। कुछ किसानों का धान तो न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम बिकता है। किसानों को धान के भाव अच्छे मिले और मंडी में जाम न लगे। मंडी में किसानों के लिए क्या सुविधा है। इन मुद्दों को लेकर हरियाणा उत्सव के संपादक भंवर सिंह ने हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल के अंतर्गत मार्केट कमेटी गोहाना के सचिव जगजीत सिंह कादियान से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
जीवन परिचय
मार्केट कमेटी गोहाना के सचिव जगजीत सिंह कादियान का जन्म 10 अगस्त, 1971 को झज्जर के गांव दुबलधन में हुआ। उनकी माता तारा देवी गृहिणी हैं और पिता स्व. महेंद्र सिंह किसान थे। प्रारंभिक शिक्षा गांव के राजकीय विद्यालय से हुई। 1994 में गांव दुबलधन स्थित राजकीय कालेज से स्नातक पास की। कुछ समय तक पिता के साथ खेती करते हुए नौकरी के लिए तैयारी की। पहली बार लैंड मोर्गेज बैंक में नौकरी ली। 2007 में हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल के अंतर्गत मार्केट कमेटी सिरसा में सहायक सचिव के पद नियुक्त हुए। 2009 में सचिव के पद पर पदोन्नत हुए और हांसी में तबादला हुआ। इन दिनों वे गोहाना में सेवाएं दे रहे हैं।
मंडी में कई दिनों से जाम की समस्या है। इस समस्या के समाधान के क्या कदम उठाए गए?
किसान पहले धान की कटाई हाथ से करवाते थे और उसके बाद झाड़ते थे। इससे धान की आवक मंडी में धीरे-धीरे होती थी। किसान कुछ सालों से धान की कटाई कंबाइन से करवाने लगे हैं। इससे मंडी में तेजी से आवक होती है। मंडी में जाम न लगे इसके लिए फसल की रोजाना 12 घंटे खरीद की जाती है और 12 घंटे उठान करवाया जा रहा है। आढ़तियों को निर्देश दिए गए हैं कि फसल उतरते ही किसान के ट्रैक्टर-ट्राली को मंडी से बाहर निकाला जाए। किसान खरीद शुरू होने के बाद ही फसल लेकर आएं।
किसानों को फसलों के अच्छे भाव मिले, इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
धान की कई किस्में हैं और सभी अलग-अलग भाव पर बिकती हैं। पीआर व 1509 किस्म का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। 1121 व 1718 किस्म का धान प्राइवेट बिक रहा है। बासमती धान की आवक शुरू नहीं हुई है। किसानों की फसल अच्छे भाव पर बिके इसके लिए खुली बोली करवाई जाती है। जो किसान संतुष्ट नहीं होता है उसकी ढेरी की दोबारा बोली करवाई जाती है। अधिकारी अपनी निगरानी मेें बोली करवाते हैं। आढ़तियों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी ढेरी बिना बोली के न खरीदी जाए।
कुछ किसान उनका धान एमएसपी न बिकने का आरोप लगाते हैं, इस पर क्या करेंगे?
क्षेत्र में कुछ किसानों ने 1 लाख 7 किस्म का धान भी उगा रखा है। यह धान व्वाइट पैप्सी की श्रेणी में आता है, जिसका सरकार द्वारा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) निर्धारित नहीं किया है। यह धान एमएसपी से कम बिकता है। पीआर और 1509 किस्म का धान एमएसपी पर खरीदा जा रहा है जबकि दूसरी किस्मों का धान एमएसपी से अधिक भाव पर प्राइवेट एजेंसियां खरीद रही हैं। अगर किसी किसान को शंका है कि उसकी फसल के भाव कम लगे हैं तो शिकायत करें। फसल की दोबारा बोली करवाई जाएगी।
मंडी में फसल लेकर आने वाले किसानों के लिए क्या सुविधाएं हैं?
मंडी परिसर में किसान विश्रामगृह है। इसी विश्रामगृह में ही करीब एक माह पहले कैंटीन शुरू की गई थी। कैंटीन में किसान और मंडी में काम करने वाले श्रमिकों को दस रुपये में भरपेट खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है। किसानों व श्रमिकों के लिए मंडी में पेयजल व शौचालयों की उचित व्यवस्था है।
किसानों को फसल के दाम समय पर मिलें, इसके लिए क्या कोशिश रहती है?
मंडी में जिस दिन जितनी फसल की खरीद होती है उसका ब्योरा पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है। एमएसपी पर जितनी फसल की खरीद होती है सरकार द्वारा किसानों के खाते में सीधा भुगतान किया जाता है। संबंधित एजेंसी के अधिकारियों को किसानों की फसल के दाम समय पर देने के लिए आग्रह किया जाता है।