न्यायालय ने 56 किलो सोने को सरकार काे सौंपने का दिया आदेश
हरियाणा उत्सव, बीएस बोहत
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के जिला व सत्र न्यायालय ने 56 साल पहले लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए एकत्र किए गए किए गए 56 किलो सोने को सरकार को सौंपने का आदेश दिया है। यह सोना 1965 में लाल बहादुर शास्त्री के तुलादान के लिए जुटाया गया था,लेकिन इसके पहले ही रूस के ताशकंद में उनकी मृत्यु हो गई थी। इस सोने का आज का मूल्य 28 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
1965 से चल रहा सोने को लेकर केस
चित्तौड़गढ़ की कोर्ट ने इस सोने को इसे केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स को सौंपने का आदेश दिया है। यह सोना अभी उदयपुर के जिला कलेक्टर कार्यालय के कोषालय में रखा है। इस केस में अब तक पांच बार कोर्ट का फैसला आ चुका है। पांचों बार सरकार को सोना सौंपने का फैसला आया है। दिसंबर 1965 में छोटी सादड़ी के गुणवंत ने गणपत सहित तीन लोगों पर केस किया था। उसने दावे में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए इकट्ठा किए गए सोने को लौटाया नहीं जा रहा है।
गणपत ने एकत्रित किया था सोना
गणपत ने 1965 में लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए सोना इकट्ठा किया था, लेकिन इससे पहले भारत-पाकिस्तान के बीच चर्चित ताशकंद समझौते के बाद उनकी वहीं मृत्यु हो गई थी। इसके बाद 11 जनवरी 1975 को कोर्ट ने गणपत को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी और यह सोना स्वर्ण नियंत्रक को सौंपने का आदेश दिया था। हालांकि 14 सितंबर 2007 को राजस्थान हाई कोर्ट ने गणपत को दोषमुक्त कर दिया था, लेकिन सोना उसे लौटाने की अपील खारिज कर दी।
2012 में गणपत के बेटे गोवर्धन ने यह सोना मांगते हुए कोर्ट में याचिका लगाई। उसने कहा कि सोना उसके पिता का था। पुलिस ने पिता के पास से ही बरामद किया है, इसलिए उसे लौटाया जाए, लेकिन कोर्ट ने गत बुधवार को गोवर्धन की अर्जी खारिज करते हुए सोना सीजीएसटी को सौंपने का आदेश दे दिया।
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