हरियाणा उत्सव, सोनीपत (भंवर सिंह)
नेपाल केसरी डॉ मणिभद्र महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति मन से धार्मिक होता है देवता भी उसे नमन करते हैं उन्होंने कहा कि अहिंसा, संयम, तप ही उत्कृष्ट धर्म है। तन का धर्म भेष परिवर्तन करने से हो जाता है। परंतु मन का धर्म मन से ही होता है।
डॉ मणिभद्र महाराज जैन स्थानक सेक्टर 15 में चातुर्मास के दौरान दैनिक धर्म सभा में भक्त जनों को सम्भोदित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि धर्म के आचरण से ही मोक्ष की यात्रा शुरू होती है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए बाहरी स्थिति का कोई महत्व नहीं है। बल्कि मनुष्य को अंदर से धार्मिक होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति बाहरी वेशभुषा से अपने आप को धार्मिक तो दिखा सकता है। परंतु जब तक उसका मन साफ एवं शांत नहीं होगा वह धार्मिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा भक्ति हमें निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। भगवान की ओर से हमें जो कुछ प्राप्त होता है हमें उसका आभार मानना चाहिए। उन्होंने कहा जितने भी धर्मशास्त्र हैं वे सभी अंत: जीवन की शुद्धि के लिए हैं। कार्यक्रम में महावीर प्रसाद जैन, भूषण जैन, जय कुमार जैन, मामन जैन, मोहनलाल जैन, अधिवक्ता अशोक जैन, अमित जैन, प्रमोद जैन, मनोज जैन, नरेश जैन, राकेश गुप्ता,विजय दहिया , पवन जैन, डॉ ब्रह्म प्रकाश, पियूष जैन, अनिल जैन, उषा शर्मा, मंजू जैन आदि मौजूद रहे।