भारतीय ज्ञान परम्परा में महिलाओं का अहम योगदान
हरियाणा उत्सव/ गोहाना
भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर कलां के उच्चतर अधिगम संस्थान व हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला के सयुंक्त तत्वाधान में भारतीय ज्ञान परम्परा में महिलाओं का योगदान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत शोध संगोष्ठी का आयोजन किया। अध्यक्षता हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ दिनेश शास्त्री ने की। मुख्य अतिथि के रूप महिला विवि की कुलपति प्रो सुदेश और विशिष्ट अतिथि के रूप में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ सुधिकान्त भारद्वाज, महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय कैथल सेसेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ राजेश्वर प्रसाद मिश्र ने शिरकत की।
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प्रो राजेश्वर ने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा में नारी का योगदान सदैव रहा है इतिहास इस बात का साक्षी है। वैदिक काल से ही नारी ज्ञान की परम्परा रही है नारी शक्ति के बिना मानव समाज की कल्पना मात्र कल्पना है। नारी को निर्भीक होना चाहिए। प्रो राजेश्वर ने कहा की मां ही शिशु का सबसे पहला व सबसे बड़ा गुरु होती है।
प्रो सुधिकान्त भारद्वाज ने कहा कि वेद एक है और वेद का सन्देश भी एक है नारी आज भी वात्सल्य से भरी है। प्रो भारद्वाज ने कहा कि योग एक साधना है नारियों ने संस्कृति को बचाया है , अनंत परम्परों को नारियों ने बचाया है। कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि संस्कृत और वैदिक ज्ञान महान है। उन्होंने कहा कि नारी मर्यादा में रहकर खुद को बहुत आगे तक ले जा सकती है और इसके बहुत सारे उदाहरण हमारे सामने है। संगोष्ठी सयोजिका डॉ श्रीलेखा चौबे ने बताया कि इस संगोष्ठी में कुल 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सारस्वत वक्ता के रूप में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ बलबीर आचार्य एवं हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ पूर्णमल गौड़ वहीं विशिष्ट वक्ता के रूप में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्रो विभा अग्रवाल, डॉ रामचंद्र, अम्बाला के डॉ अशोक कुमार मिश्र ने शिरकत की। इस मौके पर उच्चतर अधिगम संस्थान की प्राचार्या डॉ वीना,अधिष्ठाता, कला एवं भाषा विभाग की डीन प्रो अमृता, प्रो. महेश दाधीच डीन आयुर्वेद, सह-संयोजिका प्रीति धनखड़, डॉ सुषमा जोशी, डॉ रवि भूषण , डॉ कोकिला मलिक डॉ सुमन भी मौजूद रहे।