लाकडाउन में ओवर एज हुए युवाओं को एक मौका और मिले
युवाओं और छात्रों की भी सुने सरकार
हरियाणा उत्सव, चंडीगढ़
सरकारी नौकरियों में युवाओं के लिए तय समय सीमा कोराना महामारी के दौरान लोकडाउन में हजारों युवओं की आयु तय समय सीमा पार कर चुकी हैं। सामान्यत: सरकारी नौकरी की अधिकतम आयु सीमा 42 वर्ष है। इस आयु सीमा के बेहद करीब वाले युवोओं किस्मत पर कोरोना काल भारी पड़ा है। कोरोना संक्रमण के चलते बहुत सारी परीक्षाएं रद की गई थी। जिससे हजारों युवा 42 की आयु सीमा को पार कर गए।
जिन युवाओं के पास सरकारी नौकरी में आवेदन करने के लिए एक साल बचा हुआ था। वह युवा लोकडाउन के चलते आवर एज हो चुके हैं। आवर एज युवा सरकारी नौकरी के लिए आवेदन से महरुम रह गए हैं।
(या यूं कहे कि वे युवा सीधी सीधे सरकारी नौकरी के से बाहर हो गऐ हैं।) सरकार को हजारों युवाओं के भविष्य को भी ध्यान में रख कर योजना बनानी चाहिए। ताकि युवा सरकारी नौकरियों के लिए फिर से आवेदन कर सके।
*जब तक बच्चा रोता नही, मां भी बच्चे को दुध नही पीलाती*
प्रदेश में हर साल सरकारी विभागों में हजारों वैकेंसियां निकाली जाती हैं। जिसमें प्रदेश के लाखों युवा आवेदन करते हैं और हजारों-लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी मिलती है। जिसमें हजारों युवा एसे होते हैं, जो आवर एज होने से मात्र एक साल या छह महीने पहले ही सरकारी नौकरी मिल जाती है। एसे युवाओं की किस्मत पर कोराना महामारी का लाकडाउन भारी पडा है। सरकार ने ऐसे युवाओं के लिए कम से कम एक साल की आयु सीमा में छूट देनी चाहिए। ताकि वे भी अपनी किस्मत आजमा सके।
10वी, 12वीं व ग्रेजवेशन पास करने वाले युवाओं को भी मिले प्रशनटेज में छूट
कोरोना काल के दौरान दसवीं व बारहवीं कक्षा और ग्रेजवेशन पास करने वाले छात्रों के भविष्य पर कोरोना काल भारी पड़ सकता है।
कोरोना काल के दौरान आनलाइन पढाई करवाने की कोशिश तो की गई, लेकिन जो कक्षा में बैठक कर शिक्षा ग्रहण की जाती है वह नही मिल पाई। जिन घरों में बड़े मोबाइल फोन नही थे, वे बच्चे तो बिल्कुल ही पढाई से दूर रहे हैं। जिसके चलते बच्चों की प्रशनटेज बहुत कम आई है। 2019-20 शैक्षणिक सत्र में पासआउट बच्चे भविष्य में 2021-22 सत्र में पास होने वाले बच्चों की प्रशनटेज का मुकाबला नही कर सकते। ये बच्चे उन्हें हर परीक्षा में पछाडेंगे। सरकार ने इन बच्चों के लिए हर क्षेत्र और शिक्षा विभाग ने प्रवेश परीक्षाओं में प्रशनटेज में छूट देनी चाहिए।
संपादक- बीएस तुषार बोहत