एमबीबीएस की नई फीस नीति विद्यार्थियों को झटका, फैसला वापस ले सरकार : एबीवीपी
हरियाणा उत्सव, रोहतक :
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एमबीबीएस की फीस बढ़ोतरी के विरोध में पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ विवि के कुलसचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ज्ञापन सौंपा। विद्यार्थी नेता सन्नी नारा ने कहा कि नई फीस नीति से प्रदेश के चिकित्सकों में रोष है। गरीब तबके के विद्यार्थियों के लिए यह बड़ा झटका है। मेडिकल की पढ़ाई से कई छात्र वंचित रह जाएंगे। परिषद के प्रदेश मंत्री सुमित जागलान ने कहा कि बगैर स्टेक हॉल्डर्स से बात किए आनन-फानन में नीति तैयार की गई है। यह नीति किसी भी तरह से विद्यार्थियों के हित में नहीं है। सरकार नौकरी देने के लिए बाध्य नहीं है, ऐसे में सरकारी नौकरी न मिलने पर लाखों का एमबीबीएस करने के तुरंत बाद विद्यार्थी लाखों का कर्जदार होगा। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने फीस नीति को वापस लेने का आह्वान किया है।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने इन बिदुओं पर चिता जाहिर की
– नीति चिकित्सकों को हतोत्साहित कर कर रही है। नीट में टॉपर विद्यार्थी भी चितित हैं।
– हरियाणा नागरिक चिकित्सा सेवा कैडर लगभग भरा हुआ है। आवेदकों की संख्या हमेशा विज्ञापित सीट से अधिक रहती है।
– बांड के रूप में मांगी गई राशि सिर्फ बहुत अमीर लोग ही भर पाएंगे। जिस तरह से फीस बढ़ाई गई है यह निजी कालेज की फीस संरचना से भी अधिक है।
– यदि कोई विद्यार्थी ऋण से बांड के भुगतान का विकल्प चुनता है तो 17-18 साल की उम्र में 37 लाख रुपये के लोन का देनदार होगा। यह सिर्फ सरकारी नौकरी करने की लिए पॉलिसी से बाध्य होगा। सात वर्षों तक विद्यार्थी को बाध्य रहना पड़ेगा, यह बंधुआ मजदूरी की याद दिलाता है।
– सात वर्ष के ब्याज और कार्यकाल को जोड़ने के बाद ऋण की राशि के लिए किश्त लगभग 60 हजार रुपये प्रति माह होगी। एमबीबीएस पास करने वाला किस तरह यह भुगतान कर पाएगा।
– सरकारी मेडिकल कालेज से प्रतिवर्ष 700 एमबीबीएस निकलते हैं। सरकार सभी को रोजगार कैसे सुनिश्चित करेगी। सरकारी नौकरी न मिलने पर विद्यार्थी को लोन स्वयं चुकाना पड़ेगा। यह 10 लाख रुपये प्रति वर्ष फीस बढ़ाने के जैसा है।
– गत कुछ वर्षों में सरकार ने तीन-चार साल के बाद ही नई नौकरी प्रकाशित की, ऐसे में यह 40 लाख रुपये शुल्क चार्ज जैसा नहीं है।
– नई नीति के अनुसार नौकरी सुरक्षा न होना, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।
– जो छात्र-छात्राएं किसी कारणवश यदि एमबीबीएस पास न कर पाए उनके ऋण की भरपाई के लिए स्पष्टता नहीं है।
– इस नीति ने सिर्फ हरियाणा सरकार की नौकरी करने के लिए एक एमबीबीएस स्नातक को बाध्य किया। पोस्ट-ग्रेजुएशन, सेना, केंद्रीय चिकित्सा सेवाओं या सिविल सर्विसेज का चयन करने वाले एमबीबीएस के लिए कोई स्पष्टता नहीं।
– एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए बांड राशि के अलावा चार्ज की जा रही शुल्क संरचना पूरे देश में सबसे अधिक है।
https://www.jagran.com/haryana/rohtak-abvp-said-mbbs-new-fee-policy-shock-to-students-and-government-withdraw-decision-21051555.html
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