भाजपा से अति पिछडा वर्ग चल रहा है नाराज, भाजपा को लोकसभा चुनाव में करना पडेगा भारी नुकसान का सामना।
हरियाणा उत्सव से भंवर सिंह की सर्वेक्षण रिपोर्ट
हरियाणा में अति पिछडों की 35 प्रतिशत आबादी है
भाजपा को धूल चटाएंगी प्रदेश की 72 जातियां।
भाजपा ने हरियाणा में अति पिछडा समाज से कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है।
जिस कारण अति पिछडा वर्ग भाजपा से छिटक सकता है और विपक्षी पार्टी को फायदा हो सकता है।
भाजपा अति पिछडों को अधिकार देकर नहीं, धर्म की अफिम के सहारे चिपकाए रखना चाहती है। धर्म का ठेका सबसे ज्यादा अति पिछडा वर्ग ने ले रखा है। लेकिन सरकार की ओर से इनको विकास के नाम पर ठेंगा मिलता है।
राष्ट्रीय अति पिछडा वर्ग अधिकार मंच ने अपने अधिकारों को लेकर जन आंदोलन छेड रखा है। मंच के अनुसार अति पिछडा वर्ग उसी पार्टी को सहयोग करेगा जो उनको राजनीति में हिस्सेदारी देगी।
भारत में अति पिछडों की 42 प्रतिशत आबादी है। बात हरियाणा करे तो हरियाणा में बडी आबादी का हिस्स अति पिछडों का है। प्रदेश की कुल आबादी का 35 प्रतिशत अति पिछडा वर्ग की आबादी है। हरियाणा में अति पिछडा वर्ग में करीब 72 जातियां आती हैं। जिसमें अपने अधिकारों की लडाई के लिए कुछ ही जातियां संघर्ष करती रहती हैं। सभी जातियां अपने अअधिकाकारों के लिए एकजुट होकर अपना हिस्सा मांगेंगी तो सभी राजनीतिक पार्टियां गुटनों पर आ जाएंगी। अति पिछडा वर्ग सोया हुआ हाथी है। पिछडा वर्ग में दो वर्ग हैं। जिसमें पिछडा और अति पिछडा। पिछडा वर्ग में करीब पांच जातियां आति हैं। ये जातियां अधिक्तर साधन संपन हैं।
बात राजनीति की कर लेते हैं
भाजपा ने प्रदेश में अपने सभी प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। लेकिन अति पिछडों को कोई भी सीट नहीं मिली। जिसके चलते अति पिछडा वर्ग भाजपा से नाराज दिखाई दे रहा है। जबकि 2014 और 2019 में पिछडा वर्ग की वोटों के बल पर ही भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। भाजपा ने अधिकार देने के मामले में अति पिछडा वर्ग की अनदेखी की है। जिसके चलते प्रदेश की 72 जातियां भाजपा से नाराज चल रही हैं।
भाजपा ने अति पिछडा वर्ग पर क्रिमी लेयर का काला कानून जबरदस्ती थोप दिया है। भाजपा से नाराज होने का यह दूसरा कारण है।
अति पिछडों की नाराजगी का फायदा भाजपा की विपक्षी पार्टी को मिल सकता है। राष्ट्रीय अति पिछडा वर्ग अधिकार मंच लगातार कांग्रेस के आला नेताओं से बैठकें कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को अति पिछडा वर्ग का वोट बैंक समझ में आ गया तो हरियाणा में भाजपा को भारी नुकसान का सामना करना पडेगा। भाजपा की बनती बनती बात बिगड जाएगी। भाजपा अति पिछडों को साथ लेकर चलती तो प्रदेश सभी सिटों को जीत सकती थी।
चुनाव में जातिय समिकरण अहम भूमिका अदा करते हैं। जिस पर राजनीतिक पार्टियां भी दाव खेलती हैं।
राष्ट्रीय अति पिछडा वर्ग अधिकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक महेंद्र पांचाल ने कहा कि पिछडा वर्ग में केवल पांच जातियां आति हैं। जिसमें हीर, गुजर, सैनी, मेव और लोढा आती है। जबकि अति पिछडा वर्ग में 72 जातियां आति हैं। सभी जातियां हरियाणा में हैं। जिसमें उनके गांव के गांव हैं। ये जातियां भाजपा को धूल चटाने का काम करेंगी। हमारी लगातार कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। अगर कांग्रेस ने हमें हिस्सेदारी दी तो हमारा अति पिछडा वर्ग कांग्रेस को वोट करेगा और भाजपा को हार का सामना करना पडेगा।
प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों को प्रभावित करते हैं अति पिछडा वर्ग के वोटर
सभी लोकसभा सीटों पर लाखों की संख्या में अति पिछडा वर्ग के लोग।
अगर अति पिछडा वर्ग ने धर्म को छोडकर और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के साथ वोटींग की तो चारों खाने चित हो सकती है भाजपा। जिससे राजनीतिक पार्टियों के कान खडे हो जाएंगे।
अब बात कर लेते है किस लोसभा में अति पिछडों की कितनी आबादी है।
रोहतक और सोनीपत लोकसभा में करीब आठ-आठ लाख की आबादी है।
इसी प्रकार अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी सात-सात लाख की आबादी है।
कुरुक्षेत्र में करीब पांच लाख की आबादी है।
करनाल लोकसभा में करीब आठ लाख की आबादी है।
हिसार लोकसभा में करीब दस लाख की आबादी है।
सिरसा लोकसभा में भी करीब पांच लाख की आबादी है।
आबादी के हिसाब से सभी लोकसभाओं को प्रभावित कर सकते हैं अति पिछडा वर्ग के लोग।
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