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Dr Sangeeta Dureja-की डॉक्टरी पेशे को आदर्श बनाना प्राथमिकता: डॉ. संगीता दुरेजा  

Dr-Sangeeta-Dureja

नाम : डॉ. संगीता दुरेजा, गायनोलॉजिस्ट (महिला रोग विशेषज्ञ)

पद : कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल में असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग
डॉक्टरी पेशे को आदर्श बनाना प्राथमिकता: डॉ. संगीता दुरेजा
डॉ. संगीता दुरेजा के नाम कई तरह के रिकार्ड दर्ज।

डॉ. संगीता दुरेजा वर्तमान में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले डॉ संगीता दुरेजा गायनोलॉजिस्ट (महिला रोग विशेषज्ञ) रही हैं। बतौर गायनोलॉजिस्ट विभिन्न हॉस्पिटलों में अपनी सेवाएं दी हैं। महिलाओं को लाभवानित किया। डॉक्टरी पेशे को आदर्श बनाना उनकी प्राथमिकता है। दोनों पद बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। कम्युनिटी मेडिसिन डिग्री होने के चलते कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की बागडोर इनको सौंपी गई। यह जिम्मेदारी भी बड़ी चुनौती थी। इस दौरान दोनों पदों की जिम्मेदारी निभाने में किस तरह चुनौतियों का सामना किया। किस प्रकार चुनौतियों को पार किया। इनके नाम कई तरह के रिकार्ड भी दर्ज हैं। इन्हीं विषयों पर हरियाणा उत्सव के मुख्य संपादक भंवर सिंह ने कल्पना चावला मेडिकल कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संगीता दुरेजा से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश-

फोटो कैप्शन- डॉ. संगीता दुरेजा से बातचीत करते हुए हरियाणा उत्सव के संपादक भंवर सिंह
फोटो कैप्शन- डॉ. संगीता दुरेजा से बातचीत करते हुए हरियाणा उत्सव के संपादक भंवर सिंह

व्यक्तिगत परिचय
संगीता चानना दुरेजा का जन्म 30- 03-1972 को चंडीगढ़ के सेक्टर-22 डी में हुआ। इनके पिता रामस्वरूप हरियाणा सचिवालय में सिनियर क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हैं। माता इंद्रादेवी हिंदी की शिक्षिका से सेवानिवृत्त हैं। संगीता चानना ने राजकीय मॉडल हाई स्कूल से प्राथमिक शिक्षा पास की। एमसीएम डीएवी कॉलेज से दसवीं-बारहवीं कक्षा पास की। उसके बाद इन्होंने डॉक्टरी के लिए पीएमटी (नीट) प्रवेश परीक्षा पास की। पंडित भगवत दयाल शर्मा मेडिकल कॉलेज रोहतक से एमबीबीएस (डॉक्टरी) की पढ़ाई की। डॉ. संगीता चानना ने 25 वर्ष की उम्र में ही पोस्ट ग्रेजुएशन (महिला रोग विशेषज्ञ)की डिग्री प्राप्त की ली थी। 1997 के दौरान डॉ. संगीता चानना की शादी डॉ. जगदीश चंद्र दुरेजा से हुई। पीजी करने के बाद 1998 में रोहतक जिले के घिलोड़ की पीएचसी में जॉब लगी। उसके बाद 2004 में झज्जर जिले की बहादुरगढ़ सीएचसी में ट्रांसफर हो गई। यहां पर 2012 तक जॉब की। उसके बाद 2013 में अल्ट्रासाउंड लॉजिस्टिक का डिप्लोमा किया। 2014 में झझर के सिविल हॉस्पिटल में जॉब की। डॉ. संगीता दुरेजा ने रोहतक पीजीआई से तीन वर्षीय कम्युनिटी मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की। 2018 में सिविल हॉस्पिटल करनाल में जॉब की। 2020 में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में कोविड हॉस्पिटल की जिम्मेदारी सौंपी गई। उसके बाद 2021 में वैक्सीनेशन अभियान सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। करनाल में पहली वैक्सीनेशन लगवाकर लोगों को संदेश दिया कि वैक्सीनेशन सुरक्षित है। जिस कारण करनाल की पहली महिला कोरोना योद्धा का खिताब मिला। तत्काल के जिला उपायुक्त निशांत यादव ने कोरोना योद्धा का खिताब से सम्मानित किया। नवंबर 2021 में करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हुए। डॉ. संगीता दुरेजा का अपना कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है।

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-डॉ. संगीता दुरेजा के नाम हैं कई रिकार्ड
बहादुरगढ़ में बिना सुविधा के एक महिला की डिलीवरी कराने का रिकॉर्ड डॉ. संगीता दुरेजा के नाम पर दर्ज है।
-डॉ. संगीता दुरेजा ने निष्ठा से अपनी जिम्मेदारी निभाई हैं। इनके पास काम करने की अदभुत शक्ति हैं। पहले महिला रोग विशेषज्ञ की डिग्री प्राप्त कर महिलाओं को रोग मुक्त किया। उलझे हुए केस को आसानी से सुलझाएं हैं। 2004 में झज्जर जिले की बहादुरगढ़ सीएचसी पर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी नहीं होती थी। यहा पर ऑपरेशन के उपयुक्त औजार व अन्य सुविधाएं नहीं थी। डॉ. संगीता दुरेजा ने अपने अनुभव से बिना सुविधाओं व बिना डिलीवरी औजारों के महिला की सफलतापूर्वक ऑपरेशन के साथ डिलीवरी करवा दी। जिससे सीनियर अधिकारियों ने डॉ. संगीता दुरेजा की जमकर तारीफ की। इसके सफल परिणाम मिले। उच्च अधिकारियों ने वहां पर ऑपरेशन करने के किट (औजार) मुहैया करवा दिए। उसके बाद बाहदुरगढ़ सीएचसी पर ऑपरेशन के साथ भी गर्भवतियों की डिलीवरी होने लगी। जिससे हजारों जरूरतमंद महिलाओं को फायदा हुआ।

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-करनाल में पहली कोरोना योद्धा का ख़िताब मिला।
-डॉ. संगीता दुरेजा ने कोरोना वैक्सीनेशन सुरक्षित और भयमुक्त है यह संदेश देने में अहम भूमिका निभाई है। कम्युनिटी मेडिसिन की डिग्री के साथ और कुशल अनुभव के चलते 2021 में डॉ. संगीता दुरेजा को वैक्सीनेशन अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। कोरोना से बचाने के लिए लोगों को वैक्सीनेशन लगानी थी। कोरोना काल में वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में भय बना हुआ था। लोगों को वैक्सीनेशन के लिए तैयार करना अपने आप में चुनौतीपूर्ण था। वैक्सीनेशन एकदम सुरक्षित है यह संदेश देने के लिए करनाल में सबसे पहली वैक्सीनेशन डॉ. संगीता दुरेजा ने खुद को लगवाई। जिससे लोगों में वैक्सीनेशन के प्रति सकारात्मक संदेश गया और वैक्सीनेशन अभियान को सफल बनाया। जिसके चलते तत्काल जिला उपायुक्त निशांत यादव ने डॉ. संगीता दुरेजा को कोरोना योद्धा के खिताब से नवाजा। इस तरह की होनहार डॉ. मिलना कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के लिए सौभाग्य की बात है।

-बहुत कम उम्र में डबल एमडी डिग्री प्राप्त की।
-डॉ. संगीता दुरेजा में अलग से टैलेंट है। भगवान ने डॉ. संगीता दुरेजा को विशेष आर्शीवाद देकर भेजा है। इन्होंने बहुत कम उम्र में ही डॉक्टरी में एमडी की डिग्री प्राप्त कर ली थी। फ्रंट में आकर जिम्मेदारी निभाने की भी आदत है। जिससे ये लाइमलाइट में रहती हैं। जिसके चलते सरकार की ओर से कठिन टास्क पूरे करने की जिम्मेदारी मिलती रही। सभी टास्कों को सफलता पूर्वक पूरा करके दिखाया। उन्होंने महज 25 साल की उम्र में एमडी (महिला रोग विशेषज्ञ) की डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा करीब 44 साल की उम्र में दूसरी एमडी  कम्युनिटी मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की। इस उम्र में दूसरी डिग्री प्राप्त करना यह दिखाता है कि डॉ. संगीता दुरेजा  आत्मविश्वास से परिपूर्ण है।

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