जगह-जगह मनाई महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती
-महात्मा ज्योतिबा फुले व माता सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापित की।
Haryana Utsav/ Gohana
शहर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्मदिन धूमधाम से मनाया। समाजसेवी लोगों ने उनके चित्र व प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। पानीपत रोड स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले पार्क के सामने महात्मा ज्योतिबा फुले व उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापित की। बरोदा रोड के नजदीक स्थित शहीद उधम सिंह सभागार में जन चेतना मंच और समतामूलक महिला संगठन द्वारा कार्यक्रम किया।
ज्योतिबा फुले समाज सुधार सेवा समिति द्वारा गोहाना से पानीपत रोड स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले पार्क में कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में हलवे का प्रसाद बनाया गया। इस दौरान महात्मा ज्योतिबा फुले पार्क के सामने शिक्षा को समर्पित चौक पर महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष डा. अनील सैनी ने की। मुख्य अथिति के रुप में समाजसेवी रामेश्वर दास सैनी पहुंचे।
रामेश्वर दास सैनी ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। उन्होंने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए स्कूल शुरू किए थे। इस मौके पर समिति के संरक्षक राजेंद्र सैनी, शमशेर सिंह, डा. विनोद सैनी, पार्षद बिजेंद्र भनवाला, काठ मंडी एसोसिएशन के प्रधान सत्यनारायण सैनी, सरिता ग्रोवर, धर्मबीर, गुलाब, रामभगत प्रजापती, रामसिंह, डा. संजय आदि मौजूद रहे।
वहीं समता चौक के नजदीक शहीद उधम सिंह सभागार में जन चेतना मंच और समतामूलक महिला संगठन द्वारा कार्यक्रम किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंच के संस्थापक डा. सीडी शर्मा पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज किसान मजदूर तथा पिछड़ा वर्ग महामना ज्योतिबा फुले की वजह से पढ़ लिख रहा है। उन्होंने करीब 18 स्कूल खोले थे। उनके इस कार्य में फातिमा शेख ने सहयोग किया था।
डा. सुनीता त्यागी ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले सुधारक, दार्शनिक, लेखक एवं युगप्रवर्तक पुरुष थे। वे हमारे समाज में प्रचलित जातिगत भेदभाव के विरुद्ध थे। उन्होंने देश में महिलाओं के लिए शिक्षा की शुरुआत की और विधवा विवाह का समर्थन किया। सन 1883 में मुंबई में उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई।