टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदाेलन का 138 वां दिन:बैसाखी के साथ-साथ जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी मनाई
हरियाणा उत्सव, बहादुरगढ़
टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में मंगलवार को किसानों ने बैसाखी का त्योहार व जलियावाला बाग हत्याकांड की बरसी एक साथ मनाई। इस दौरान किसान नेताओं ने भारी संख्या में पहुंचे किसानों को बताया कि कैसे काले कानूनों को रद्द करवाने के लिए बुलाई गई बैठक में अंग्रेजों ने गोलियां चलवाई थी।
हमारे भी यहां सैकड़ों की संख्या में किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो चुके हैं। इसी कारण दोनों को एक साथ मनाया। किसानों ने कहा कि इसी कारण बैसाखी के दिन किसानों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को याद कर खालसा साजना दिवस मनाते हुए कई कार्यक्रम किए। इसका साथ साथ कई वक्ताओं ने खालसा पंथ के इतिहास पर प्रकाश डाला।
बुधवार को बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के जन्म दिन को संविधान बचाओ किसान बहुजन एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसान मजदूर व सामाजिक संगठनों से एकजुटता की अपील की है। वहीं रविवार को टिकरी बॉर्डर पर किसान आगामी कार्यक्रम की तैयारियों में लगे रहे। वहीं दूसरी तरफ शाम को दलाल खाप की तरफ से नया गांव के पास किसानों के लिए खेलों का भी आयोजन किया गया जिसमें काफी किसानों ने भाग लिया।
इस मौके पर टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने सुबह यज्ञ भी किया। वहीं भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने भी टिकरी बॉर्डर पर पहुंच कर शहीद किसानों को भी याद किया गया। यूनियन के जिला अध्यक्ष प्रवीन दलाल ने कहा हमारा मकसद इन महान शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि देना और आज के नौजवान और आने वाली पीढ़ी के मन में शहीदों के प्रति सम्मान पैदा करना है।
जाति व पंथ की दीवार से ऊपर उठकर इन महान शहीदों ने जो उदाहरण स्थापित किया था आज के नौजवानों के मन मे उनके प्रति सम्मान भाव पैदा करना है। इस देश की आज़ादी के असली हक़दारों को उनका सम्मान दो।
हमारे ही देश के संविधान में आज भी उन शहीदो को जिन्होंने हमारी आज़ादी के लिए इस धरती को अपने खून से सींचा उनको कटर पंथी आंतकवादी बताया जाता है। बड़ी शर्म की बात है। देश की आज़ादी के लिए जिन्होंने हस्ते हस्ते कुर्बानी दी वही इस देश मे सम्मान के मोहताज है सिर्फ एक दिन याद करके ही उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं मिल जाती है।
विदेशी हुकूमत से ही देश आजाद हुआ
आज की नौजवान पीढ़ी को शहीदों के विचारों पर चलकर उन सपनों को पूरा करना होगा जिनके लिए उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। समाज में गरीब किसान-मजदूर को उसका हक दिलाने के लिए, समाज में आर्थिक व सामाजिक बराबरी पैदा करने के लिए जो संघर्ष हमारे शहीदों ने छेड़ा था, आज भी वो अधूरा है।
जो आजादी इन शहीदों ने मांगी थी वह सिर्फ आधी ही मिली है,सिर्फ विदेशी हुकूमत से ही हमारा देश आजाद हुआ। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा किसानों के ऊपर जबरदस्ती काले कानून थौप दिए गए है जो सिर्फ पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए बनाए गए है इसलिए हम इन कानूनों का विरोध कर रहे है जब तक ये काले कानून वापसी नही हो जाते हमें हम घर वापसी नही करेंगे।
अब किसान को इस 70 साल की गुलामी से आजादी चाहिए अपनी आने वाली नस्लों को बचाने के लिए हमें कोई भी कुर्बानी देनी पड़े हम देंगे। इस मौक़े पर युवा संघर्ष समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष बबलू मिर्चपुर,योगेश,नीरज,राहुल, सुरजभन, सरदार प्रताप सिंह,लक्की,अमर सिंह, सिमरन कोर,लाजवंती,धनकोर, गुड्डी,सुरता, सुदेस भल्ला आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे।