ग्रीन कार्ड: हर देश के लिए सात फीसदी की सीमा होगी खत्म, भारतीय पेशेवरों को होगा फायदा
हरियाणा उत्सव, बीएस वाल्मीकन
New Delhi: अमेरिका में हर देश के लिए सात फीसदी ग्रीन कार्ड की सीमा जल्द खत्म हो सकती है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पक्ष-विपक्ष दोनों दलों ने हर देश को दिए जाने वाले रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड की सीमा हटाने के लिए संयुक्त रूप से एक विधेयक पेश किया है।
कांग्रेस सदस्य जोए लोफग्रेन और जॉन कुर्टिस ने यह विधेयक पेश किया। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों को फायदा होने की संभावना है जो लंबे वक्त से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं। ‘इक्वल एक्सेस टू ग्रीन कार्ड्स फॉर लीगल एम्प्लॉयमेंट’ (ईएजीएलई) कानून-2021 को पहले सीनेट में पारित करने की जरूरत है, जिसके बाद वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए व्हाइट हाउस में जाएगा।
प्रवासियों को स्थायी निवास का अधिकार देता है यह कार्ड
स्थायी निवासी कार्ड के तौर पर आधिकारिक तौर पर पहचाने जाने वाला ग्रीन कार्ड अमेरिका में एक सबूत के तौर पर प्रवासियों को जारी किया जाता है। इससे उन्हें स्थायी रूप से अमेरिका में रहने का विशेषाधिकार मिल जाता है। मौजूदा आव्रजन प्रणाली का सबसे ज्यादा खमियाजा भारतीय आईटी पेशेवरों को भुगतना पड़ रहा है जो उच्च कौशल वाले हैं और वे एच-1बी कार्य वीजा पर अमेरिका आते हैं।
इस विधेयक में रोजगार आधारित प्रवासी वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को हटाने का प्रावधान है। साथ ही इसमें परिवार प्रायोजित वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को 15 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। आव्रजन और नागरिकता पर सदन की उप समिति की अध्यक्ष लोफग्रेन ने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि हमारी आव्रजन प्रणाली में बहुत खामी है और इसमें दशकों से त्रुटि है।’
1990 में तय हुई थी मौजूदा सीमा
उन्होंने कहा कि आव्रजन वीजा देने की मूल रूपरेखा 20वीं सदी की है और इसे आखिरी बार गंभीर रूप से 1990 में संशोधित किया गया जब संसद ने वीजा आवंटन पर दुनियाभर में एक सीमा तय कर दी और प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा आज भी लागू है।
यह विसंगति है मौजूदा सीमा में
समय के साथ ही 1990 से ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे लोगों की संख्या अकल्पनीय रूप से बढ़ गई। इसमें विसंगति यह है कि कम आबादी वाले देशों को भी उतने ही वीजा आवंटित किए गए, जितने वीजा ज्यादा आबादी वाले देशों को दिए गए।