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आस्था के साथ मनाया जाता है छठ का पर्व, इस वर्ष कब मनाया जाएगा छठ पर्व

Chhat Puja

जाने शुभ तिथि व धार्मिक महत्व
Haryana Utsav/ BS Bohat
सनातन पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवास कर शाम में पूजा करने के पश्चात प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके पश्चात लगातार 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। महाभारत काल में द्रौपदी भी छठ पूजा करती थीं। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वर्तमान समय में छठ पूजा बिहार समेत देश विदेश में मनाई जाती है। आइए, छठ पूजा की शुभ तिथि एवं धार्मिक महत्व जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
19 नवंबर, 2023 सूर्यास्त का समय: शाम 5 बजकर 26 मिनट

20 नवंबर, 2023 सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर

छठ पूजा 2023
17 नवंबर, 2023 : नहाय खाय

18 नवंबर, 2023 : खरना

19 नवंबर, 2023 – छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य

20 नवंबर, 2023 – उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा का समापन और पारण

नहाय खाय
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती स्नान ध्यान के बाद सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पित करती हैं। इसके पश्चात विधि विधान से पूजा करती हैं। पूजा समापन के पश्चात सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन लौकी की सब्जी खाना अनिवार्य है। अतः व्रती चावल-दाल के साथ लौकी की सब्जी जरूर खाती हैं।

खरना
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती ब्रह्म बेला में उठती हैं और सूर्य देव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करती हैं। नित्य कर्मों से निवृत होने के पश्चात गंगाजल युक्त पानी से स्नान करती हैं। सुविधा रहने पर नदी और सरोवर में आस्था की डुबकी लगाती हैं। इसके पश्चात विधि विधान से पूजा कर व्रत करती हैं। दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं। रात में कुल देवी-देवता के समक्ष छठ मैया की पूजा कर भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा में खीर पूड़ी का प्रसाद भोग लगाया जाता है। व्रती खीर खाकर अगले 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। खरना की रात्रि में छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य
कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-उपासना होती है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा का समापन चौथे दिन होता है। इस दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

Source-  https://www.jagran.com

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