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बरोदा उपचुनाव में कौन किसके जोड़ों पर बैठेगा

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बरोदा उपचुनाव में कौन किसके जोड़ों पर बैठेगा

हरियाणा उत्सव,गोहाना/ बीएस तुषार

तीन नंवबर को हरियाणा के बरोदा हलके का चुनाव होना है। बरोदा उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के शीर्ष नेता व संभावित प्रत्याशियों ने ताल ठोक दी है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के समीकरण बैठा रही है। यहां आपको बता दे कि चुनाव में जातिगत समीकरण बहुत अहम होते हैं। राजनीतिक पार्टियों द्वारा पिछले कुछ अर्से से चुनाव को जातिगत रंग दे दिया है।
यहां हम बरोदा हलके की बात करेंगे। यहां पर कौनसी पार्टी का प्रत्याशी किसके जोड़ों पर बैठेगा और किस पार्टी को फायदा होगा।

बरोदा उपचुनाव लडने के लिए मुख्यतय चार पार्टियां है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, इनैलो, लोसुपा, बीएसपी व अन्य दल शामिल हैं।
हरियाणा की जनता की नजर भाजपा व कांग्रेस पार्टी पर है। कौनसी पार्टी किसको और किस जाति से प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी। क्योंकि जातीय समीकरण जीत-हार का कारण बनेंगे।

किस जाति की कितनी वोट
बरोदा हलके में 180508 वोट हैं
जनसंख्या – 270548
पुरुष वोटर-97911
पुरुष वोटर-80733
सर्विस वोटर-1860
किनर वोट-02 हैं।
पहले नंबर पर जाट वोट करीब-करीब- 90250
दूसरे नंबर पर ब्रह्मण वोट हैं
तीसरे नंबर पर चमार
चोथे नंबर पर वाल्मीकि और धानक समाज की वोट हैं।
यह आंकड़े संभावित हैं। जनसंख्या के आधार पर सही जानकारी सरकार ने छुपा रखी हैं।
भाजपा के जोडों पर कौन बैठ सकता है
BJP
BJP भाजपा नोन-जाट की राजनीति करती है, लेकिन भाजपा का यह कार्ड बरोदा हलके में फेल रहेगा। क्योंकि बरोदा हलके में जाटों की 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हैं। भाजपा जाटों की कितने प्रतिशत वोट ले सकती है, यही वोट प्रतिशत भाजपा के लिए हार-जीत का फैसला करेंगी। नोन-जाट वोटों को साधने के लिए ब्रहमण प्रत्याशियों को थापी मार रखी है। जाट वोटों को साधने के लिए जाट मंत्रियों और नेताओं के हलके में कार्यक्रम किए जा रहे हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं पर जाट वोटों का दबाव भी है। भाजपा के लिए असमंजस के हालात बने हुए हैं कि जाट या नोन-जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारे। भाजपा सत्ता पर काबिज है। इसलिए बरोदा सीट को हारना नही चाहेगी। भाजपा पर वह काहव्वत फिट बैठती है:- सांप के मुह में छछूंदर

*निचे पढेंगे तो काहव्वत समझ में आ जाएगी

*लोसुपा किसके जोड़ों पर बैठेगी*
LSP
LSP

लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) की नींव ही नोन-जाट पर आधारित है। 2016 में हरियाणा में आरक्षण को लेकर हुए दंगों के बाद लोुसपा पार्टी का गठन हुआ। पार्टी की स्थापना पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने की। सैनी के अनुसार जाति के अनुपात में सो प्रतिशत आरक्षण की मांग मुख्य एजेंडा है। इसके अलावा अन्य एजेंडे भी हैं। लोसुपा पार्टी भी नोन-जाट की राजनीति करती है। पार्टी ने जाटों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। एसे में लोसुपा भी भाजपा की तरह नोन-जाट वोटों को साधने में जुटी हुई है। लोसुपा पार्टी से नोन-जाट प्रत्याशी मैदान में होगा। यहां पर लोसुपा नोन-जाटों को साधने में कामयाब हुई तो सीधा-सीधा नुकसान भाजपा को होगा। यहां पर यह कहना आसान होगा की भाजपा के जोड़ों पर लोसुपा का प्रत्याशी बैठ सकता है। लोसुपा पार्टी से तय है कि मजबूत एससी या बीसी से प्रत्याशी होगा। पार्टी को कोई मजबूत प्रत्याशी नही मिला तो, हो सकता है लोसुपा सुप्रीमो राजकुमार सैनी खुद चुनाव मैदान में उतर जाए। सैनी मैदान में उतरा तो भाजपा के मुह में छछूंदर वाला काम हो जाएगा। लोसुपा की नजर कांग्रेस और भाजपा पर टिकी है। दोनों पार्टी जाट प्रत्याशी मैदान में उतारती हैं तो भी लोसुपा भाजपा को नुकसान करेगी।

बरोदा उपचुनाव में क्या जादूगर हुड्डा का जादू चलेगा
INC
INC

कांग्रेस में नही है कोई भी मजबूत नोन-जाट संभावित प्रत्याशी
बरोदा हलके में 50 प्रतिशत से ज्यादा जाट वोट हैं। इसलिए हलके में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव माना जाता है। हलका ग्रामीण क्षेत्र है। भाजपा ग्रामीण क्षेत्र की बजाए शहरी क्षेत्र में मजबूत मानी जाती है, क्योंकि शहरों में नोन-जाट वोट ज्यादा होती है। बरोदा का इतिहास रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसी को भी टिकट दे, वोटर प्रत्याशी को देख कर नही भूपेंद्र सिंह को देख वोट डालते हैं। यही कारण रहा कि स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा को दो बार विजय श्री मिली। दूसरा उनके प्रतिद्वंदी विधायक स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा से कमजोर थे। उपचुनाव में देखने वाली बात रहेगी कि सीनियर हुड्डा के साथ-साथ (राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा) राजनीति के जादूगर जूनियर हुड्डा का जादू चलेगा या फिर भाजपा का सियासी नीति का जादू। यहां पर भाजपा द्वारा तैयार किया गया जाट-नोन जाट का ग्राउंड भाजपा पर ही भारी पड़ सकता है। क्योंकि हलके में जाट वोटरों की संख्या ज्यादा है। ज्यादातर चुनाव में हार-जीत का कारण जातीय समीकरण बनते हैं। यह चुनाव लास्ट के दिनों में जाति आधारित होने की संभावना है। एसे में जाति आधारित होने से कांग्रेस बहुत मजूत दिखाई दे रही है।

इनेलो पार्टी भी कर सकती है कमाल
INLD
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इनेलो पार्टी का वोट बैंक जाटों को माना जाता था। जब से भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने है तब से जाट वोट बैंक हुड्डा के पक्ष में ज्यादा दिखाई दे रहा है। इनेलो पार्टी किसानों के हित की बात करती है।
*इनेलो को एंडी की ऐंड काढन में और गरीबों को सहारा देन वाली पार्टी माना जाता रहा है। * 2018 में इनेलो में बिखराव हो गया था। पार्टी दो धडो में बंट गई थी। इसकी शुरुआत गोहाना से हुई थी। तब से इनेलो पार्टी अपने वजूद की लडाई लड़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा से भी पिछे रह गई थी। पिछले चुनाव की अपेक्षा इनेलो का ग्राफ बढता नजर आ रहा है। एसे में अभय सिंह चोटाला लगातार हलके में दौरे कर रहे हैं। जाट वोटों को साधने में लगे हुए हैं। अभय चौटाला जाट वोटों को साधने में कामयाब हो जाते हैं तो यहां पर इनेलो पार्टी सीधे-धीसे कांग्रेस के जोड़ों पर बैठेगी। बरोदा उपचुनाव भाजपा-कांग्रेस के लिए बड़ी चनौती है।

नोट-यह केवल समीकरण है, समीकरण बनते और बिगडते रहते हैं। प्रत्याशी मैदान में आने के बाद समीकरण एक दम से बदल जाएंगे। आज के हालात के समीकरण आपके सामने हैं। –
-बीएस तुषार

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